नीलकंठ मंदिर परिसर के समीप बह रही पौराणिक नदी मधुमति और पंकजा गंदगी में गंदगी की भरमार। नदियों में कूड़े का ढेर लगा हुआ है। दूषित जल में शिवभक्त स्नान करने को मजबूर हैं।
जिला पंचायत पौड़ी नीलकंठ धाम में श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर गरुड़चट्टी में कई वर्षों से सुविधा शुल्क वसूल रहा है। श्रद्धालुमंदिर में दर्शन करने से पहले मंदिर की तलहटी में बह रही मधुमति और पंकजा नदी में स्नान करते हैं।
इन नदियों में स्थानीय दुकान, धर्मशाला और मंदिर से निकलने वाला मैला प्रवाहित हो रहा है। जिला पंचायत की ओर से आज तक इन नदियों की साफ सफाई का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
मधुमति नदी में बिखरा पड़ा कूड़ा ।
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*नीलकंठ में सावन मास में कांवड़ यात्रा से पहले पौराणिक नदियों की सफाई की जाएगी। साथ ही नदियों में गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।*
*- शांति देवी, अध्यक्ष, जिला पंचायत पौड़ी*
श्रुति स्मृति पुराण के अनुसार देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन में निकले चौदह रत्नों में से एक
कालकूट विष का विषपान भगवान शिव ने किया था। विष की ज्वलंता को शांत करने के लिए भगवान शंकर पंकजा और मधुमति नदी के संगम के समीप पंचपणी नामक वृक्ष के नीचे समाधी लगाकर साठ हजार वर्षो तक तप किया था।
कैलाश लौटने से पूर्व शिव ने कंठ के रूप में जनकल्यणार्थ यहां शिवलिंग स्थापित किया था।